आज की चौपाई

मेहेर सोई जो बातूनी, जो मेहेर बाहेर और माहें ।
आखिर लग तरफ धनी की, कमी कछुए आवत नाहें ।।
सागर १५/७

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Shri Nijanand Samparday

ऐसा कौन सा तत्व है जिससे चीज़ एक बार बनती है तो मिटती नहीं बताईए सुन्दर साथ जी

by Shri Nijanand Samparday

योगमाया का कृष्ण तत्व

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श्री राज जी के नाक में जो बेंसूर है उसकी शोभा का वर्णन करें सुन्दरसाथ जी

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श्री राज जी की नासिका सब परमधाम में सुगंधी फैलाती है। उनके बेसुर का क्या कहूं लालिमा से भरपूर मानिक नग से जड़ा नग यू तरंग फैला रहा हैं इस मानों सब रूहों को लालिमा वही दे रहा हो। जैसे ही पीयू हंसते है श्वेत दंत की शोभा पा कर वे नग श्वेत होय जा रहा है। और होंठों से छूता स्पर्श मानिक नग अधरों का अमीरस पी कर मन मगन हो गया है। बेसुर की शोभा बोहोत आकर्षित है। नासिका की नीचे की जगह प्यारी शोभा पर सुशोभित...

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वैरी मार के कौन जिवावसी, उलटे भान के करे सनमुख रे। या दुख में इन धनी बिना, कौन देवे सांचे सुख रे । । प्र . हि 6/57 । इस चौपाई में वैरी किसको कहा है बताईए सुन्दरसाथ जी

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हमारे इन गुण अंग इन्द्रियों को मारकर हमें कौन जिन्दा करेगा? इनको उलटे रास्ते से निकालकर धनी के सम्मुख कौन करेगा? इस दुःख के संसार में धनी के बिना सच्चे सुख कौन देगा ?

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साथ सों हेत कियो अपार, धंन धंन धनबाई को अवतार। कछुक लेहेर लागी संसार, ना दई गिरने खड़ी राखी आधार ।। प्र हि धंन बाई कौन है और उसको कौन सी माया की लहर लगने वाली थी जिससे धनी ने उनको बचाया बताईए सुन्दर साथ जी

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धंन बाई श्री गांग जी भाई जी की आत्म है जब श्री देवचन्द्र जी के अन्दर बैठे धाम धनी की पेहेचान कर उनको अपने घर ले जाकर सेवा करने लगे तो उनपर माया की लहर का विकट प्रवाह आया था जो सहन नहीं किया जाने वाला था (भानवाई का त्याग) जो उन्होंने किया, फिर भी धनी ने हाथ पकड़कर माया से बचा लिया।

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मोमिन लिखे मोमिन को, कहो तो आवें इत। ए अचरज देखो मोमिनों, कैसा समया हुआ सखत ।। किरंतन के इस प्रकरण में कौन सा मोमिन कौन से मोमिन को लिख रहा है बताईए सुन्दरसाथ जी

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राजाराम भाई मेड़ते से छत्रसालजी को लिख रहे हैं कि हमारी सेवा का भार जब आपने ले ही लिया है, तो यदि कहो तो हम भी वहां आ जाएं। श्री महामतिजी कहते हैं कि बड़ी हैरानी की बात है। मोमिनो ! देखो, समय कितना कठिन हो गया।

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