मेहेर सोई जो बातूनी, जो मेहेर बाहेर और माहें ।
आखिर लग तरफ धनी की, कमी कछुए आवत नाहें ।।
सागर १५/७
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योगमाया का कृष्ण तत्व
Read Quiz →श्री राज जी की नासिका सब परमधाम में सुगंधी फैलाती है। उनके बेसुर का क्या कहूं लालिमा से भरपूर मानिक नग से जड़ा नग यू तरंग फैला रहा हैं इस मानों सब रूहों को लालिमा वही दे रहा हो। जैसे ही पीयू हंसते है श्वेत दंत की शोभा पा कर वे नग श्वेत होय जा रहा है। और होंठों से छूता स्पर्श मानिक नग अधरों का अमीरस पी कर मन मगन हो गया है। बेसुर की शोभा बोहोत आकर्षित है। नासिका की नीचे की जगह प्यारी शोभा पर सुशोभित...
Read Quiz →हमारे इन गुण अंग इन्द्रियों को मारकर हमें कौन जिन्दा करेगा? इनको उलटे रास्ते से निकालकर धनी के सम्मुख कौन करेगा? इस दुःख के संसार में धनी के बिना सच्चे सुख कौन देगा ?
Read Quiz →धंन बाई श्री गांग जी भाई जी की आत्म है जब श्री देवचन्द्र जी के अन्दर बैठे धाम धनी की पेहेचान कर उनको अपने घर ले जाकर सेवा करने लगे तो उनपर माया की लहर का विकट प्रवाह आया था जो सहन नहीं किया जाने वाला था (भानवाई का त्याग) जो उन्होंने किया, फिर भी धनी ने हाथ पकड़कर माया से बचा लिया।
Read Quiz →राजाराम भाई मेड़ते से छत्रसालजी को लिख रहे हैं कि हमारी सेवा का भार जब आपने ले ही लिया है, तो यदि कहो तो हम भी वहां आ जाएं। श्री महामतिजी कहते हैं कि बड़ी हैरानी की बात है। मोमिनो ! देखो, समय कितना कठिन हो गया।
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