तो मने करत हैं हम, हमको भी भूलोगे तुम ।
तब हम फेर धनीसों कह्या, कहा करसी हमको माया ।।
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नवधा प्रकार की भक्ति के 81 पक्ष 82 वां वल्लभाचार्य जी का 83 वां पक्ष कबीर जी का और 25 पक्ष परमधाम के , ये सारे मिला कर 108 पक्ष होते हैं
Read Quiz →कुरान की इशारत (संक्षिप्त कथन) को श्री राजजी महाराज ने खोल दिया है। महामति( श्री इन्द्रावती जी) के ऊपर श्री प्राणनाथ जी ने सतगुरु देवचन्द्रजी (श्यामा महारानी) के तारतम वाणी के ज्ञान से कृपा की है। जिनसे यह भेद खुले।
Read Quiz →पुल के नीचे की मेहराबों से होकर जब पानी उछाल मार कर निकलता है उसे घड़नाले कहा जाता है
Read Quiz →श्री देवकरण भाई जी को
Read Quiz →भोम भर ऊँची संक्रमणिक सीढ़ियों की भीतरी तरफ एक हजार मन्दिर की चौड़ी और १२८ हांस की लम्बी चौरस पाल आयी है । इसके २५०-२५० मन्दिर के चौड़े चार हिस्से आये हैं। पहले हिस्से में घाट, दूसरे हिस्से में पड़साल, तीसरे हिस्से में १२८ बड़ी देहुरियां और घाटों की सीढ़िया तथा चौथे हिस्से में कटीपाल एवं १२४ छोटी देहुरियां आयी हैं ।
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