*आइयां कांतन वालिया*
सुनो सैयां कहे इंद्रावती, तुम आईयां उमेद कर ।
अब समझो क्यों न पुकारते, क्यों रहियां नींद पकर ।।
हवसे में श्री इन्द्रावती जी पिया जी से क...
Question: हवसे में श्री इन्द्रावती जी पिया जी से क्या बातें करती है क्या उलाहने देती हैं उनसे क्या जवाब मांगती हैं
Answer: मेरे प्राणनाथ! अपने स्वरूप की पहचान कराने के पश्चात् भी आप मुझे दर्पण क्यों दिखा रहे हैं अर्थात् अपने ब्रज-रास के लीला रूपी तनों को ही अपना स्वरूप क्यों बता रहे हैं कि इन में अक्षरातीत विराजमान हैं ? जब हाथ में कंगन पहना हो तो उसे सीधा ही देखा जा सकता है, उसे देखने के लिये दर्पण की क्या आवश्यकता है ? यह तो सब जानते है कि ब्रज और रास में राधा तथा श्री कृष्ण जी के तन में श्री श्यामा जी एवं राज जी ने ही लीला की थी। उन लीला रूपी तनों में वर्तमान समय में न तो श्यामा जी की आत्मा है और न श्रीराज जी का आवेश। आप मुझे जवाब दो आपने हमारे साथ ऐसा क्यूं किया हमें क्यूं अपने से जुदा कर कृष्ण नाम पकड़ाया जब अब आप खुद हमारे पास हो तो हम कृष्ण को क्यूं माने उससे अब हमारा कोई सम्बन्ध नहीं हैं