आज की चौपाई

*आइयां कांतन वालिया*

सुनो सैयां कहे इंद्रावती, तुम आईयां उमेद कर ।
अब समझो क्यों न पुकारते, क्यों रहियां नींद पकर ।।

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हुकमें देखाया हुकम को, तिन हुकमें देख्या...

Shri Nijanand Samparday
Question: हुकमें देखाया हुकम को, तिन हुकमें देख्या हुकम । भिस्त दोजख उन हुकमें, आखिर सुख सब दम ||१०|| सिंधी प्र -16 इसका भेद बताईए सुन्दरसाथ जी

Answer: धनी के हुक्म ने आत्माओं को माया का यह खेल दिखाया है। (यहा आत्म ने जो तन धारण किए हैं वोह धनी के हुक्म स्वरूप हैं परमधाम में भी रुहें धनी के तन हैं और माया में भी )धनी के हुक्म से ही आत्माओं ने इस हुक्म (आदेश) स्वरूप ब्रह्माण्ड को देखा है। संसार के सभी प्राणियों को न्याय ( आखिरत ) के दिन हुक्म से ही बहिश्तों का सुख प्राप्त होगा और दोजक में प्रायश्चित की अग्नि में जलना पड़ेगा।