बीड़ी सोभित मुख में, मोरत लाल तंबोल ।
सोभा इन सूरत की, नहीं पटंतर तौल ।।
आगूं अर्श चबूतरे, हम सखियाँ बैठत मिलकर ।...
Question: आगूं अर्श चबूतरे, हम सखियाँ बैठत मिलकर । ऐ सुख हमारे कहाँ गये, खेलत नाचत बंदर ॥परि. 20/15 इस चौपाई में कहाँ का वर्णन हो रहा है बताईए सुन्दरसाथ जी
Answer: रंगमहल जिसके सामने भोम भर की सीढ़ियाँ उतरी हैं। इस चौक के दायें-बायें, 4-4 मंदिरों के सामने, 4 मंदिर के लंबे व 2 मंदिर के चौड़े दो चबूतरे हैं। जिस पर सिंहासन व कुर्सियों की अपरम्पार शोभा है। इन चबूतरों पर जब श्रीराजश्यामाजी एवं सखियाँ विराजमान होते हैं तो सामने चाँदनी चौक में अनेक प्रकार के सुंदर पशु-पक्षी अपनी मधुर वाणी से बोलकर, गाकर, खेलकर, नाचकर धनी को रिझाते हैं, सखियों को हँसाते हैंइसलिए इन्हें सखियों के प्यारे खिलौने कहा गया है।