आज की चौपाई

*आइयां कांतन वालिया*

सुनो सैयां कहे इंद्रावती, तुम आईयां उमेद कर ।
अब समझो क्यों न पुकारते, क्यों रहियां नींद पकर ।।

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तुम निरखो सत सरुप, सत स्यामाजी रूप अनूप।...

Shri Nijanand Samparday
Question: तुम निरखो सत सरुप, सत स्यामाजी रूप अनूप। साजो री सत सिनगार, विलसो संग सत भरतार।।{कि.76/3} बेवरा करें सुन्दरसाथ जी

Answer: हे रूहो! तुम अपने अखण्ड तनों को देखो। अपनी परआत्म को निरखो। अपनी सुभान श्री श्यामाजी का अनुपम स्वरूप देखो तथा अपने अखण्ड धनी से विलसने के लिए अपने अखण्ड सिनगार को धारण करो (अर्थात् संसार में सच्चे अंग के भाव से चलो)।