आज की चौपाई

ऐ प्रकास जो पिउ का, टाले अंदर का फेर।
याही सब्द के सोर से, उड़ जासी सब अंधेर।।२१।।

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वैरी मार के कौन जिवावसी, उलटे भान के करे...

Shri Nijanand Samparday
Question: वैरी मार के कौन जिवावसी, उलटे भान के करे सनमुख रे। या दुख में इन धनी बिना, कौन देवे सांचे सुख रे । । प्र . हि 6/57 । इस चौपाई में वैरी किसको कहा है बताईए सुन्दरसाथ जी

Answer: हमारे इन गुण अंग इन्द्रियों को मारकर हमें कौन जिन्दा करेगा? इनको उलटे रास्ते से निकालकर धनी के सम्मुख कौन करेगा? इस दुःख के संसार में धनी के बिना सच्चे सुख कौन देगा ?