ऐ प्रकास जो पिउ का, टाले अंदर का फेर।
याही सब्द के सोर से, उड़ जासी सब अंधेर।।२१।।
श्री राज जी के नाक में जो बेंसूर है उसकी...

Question: श्री राज जी के नाक में जो बेंसूर है उसकी शोभा का वर्णन करें सुन्दरसाथ जी
Answer: श्री राज जी की नासिका सब परमधाम में सुगंधी फैलाती है। उनके बेसुर का क्या कहूं लालिमा से भरपूर मानिक नग से जड़ा नग यू तरंग फैला रहा हैं इस मानों सब रूहों को लालिमा वही दे रहा हो। जैसे ही पीयू हंसते है श्वेत दंत की शोभा पा कर वे नग श्वेत होय जा रहा है। और होंठों से छूता स्पर्श मानिक नग अधरों का अमीरस पी कर मन मगन हो गया है। बेसुर की शोभा बोहोत आकर्षित है। नासिका की नीचे की जगह प्यारी शोभा पर सुशोभित। ये नग हिंडोलों के भांति झूल रहे है