बीड़ी सोभित मुख में, मोरत लाल तंबोल ।
सोभा इन सूरत की, नहीं पटंतर तौल ।।
किस बात के लिए श्री जी साहिब जी ने श्री...
Question: किस बात के लिए श्री जी साहिब जी ने श्री छत्रसाल जी को अपना हुक्म भी सौंप दिया था बताईए सुन्दरसाथ जी
Answer: जब चोपड़ा की हवेली में श्री छत्रसाल जी ने श्री जी साहेब जी की पघरावनी करके उनकी युगल सरूप की पहचान करके श्री बाईजू राज महारानी जी को साथ बिठा कर आरती करने लगे तो श्री जी इमाम मेहेंदी श्री प्राणनाथजी ने छत्रसाल से पूछा कि हमारे लिए तुम क्या नजराने (भेंट) लाए हो महाराजा छत्रसालजी ने कहा कि बुन्देलखण्ड की पांच हजार कोस की बस्ती अर्थात् यह मेरा पांच तत्व का शरीर, गुण, अंग इन्द्रियों सहित आपकी सेवा में अर्पित है।सत्रह सौ हाथी और एक लाख घोड़े (दस इन्द्रियां, पांच प्राण, अपान-व्यान, समान-उदान बुद्धि औ चित्त यह सत्रह तत्वों का शरीर है। यही सत्रह सौ हाथी हैं। मेरा मन जो एक पल में एक लाख घोड़े के समान दौड़ने की शक्ति रखता है) इन्हें आपके चरणों में भेंट करता हूं। गरीबी और अधीनी की पुरानी कमरी ओढ़कर आपकी सेवा में खड़ा हूं (यह सब कुछ चोपड़ाजी की हवेली में पहली आरती के समय न्यौछावर किया)। अपने राजपूती अभिमान को त्याग दिया। यही नंगे पांव होना है। सब सुन्दरसाथ के पीछे हाथ जोड़क खड़े हो गए और बड़ी नम्रता से श्री प्राणनाथजी के सामने सिर झुकाया, अपना अहंकार उनके चरणों में अर्पण किया और प्रार्थना की कि मेरी भूलों को क्षमा कर जो चाहो बख्शीश करो। तब श्री जी साहिब जी ने उन्हें अपने हुक्म की बख्शीश की