बीड़ी सोभित मुख में, मोरत लाल तंबोल ।
सोभा इन सूरत की, नहीं पटंतर तौल ।।
तारतम तणो विचार करो रे, पेहेलो फेरो थयो...
Question: तारतम तणो विचार करो रे, पेहेलो फेरो थयो केही पेर । केणी पेरे मनोरथ कीधां, जाग्या केही पेरे घेर ।। आणे फेरे अमे केम करी आव्या, अने तमे आव्या छो केम। तमे कोण ने तम मांहें कोण, मूने कहीने प्रीछवो वली एम ।। पोते प्रगट पधारया छो, आडा देओ छो वृज ने रास । इंद्रावतीसूं अंतर कां कीधूं, तमे देओ मूने तेनो जवाब ।। आपोपूं ओलखावी मारा वाला, दरपण दाखो छो प्राणनाथ। दरपणनूं सूं काम पडे, ज्यारे पेहेस्यूं ते कंकण हाथ ।। खटरूती की इन चौपाईयों का भेद बताईए सुन्दरसाथ जी
Answer: तारतम वाणी से विचार करके देखो। पहला फेरा (ब्रज, रास) किस तरह से हुआ। किस तरह आपने हमारी चाहना पूर्ण की। उसके बाद कैसे अपने घर (परमधाम) में जागे। इस फेरे (तीसरा ब्रह्माण्ड) में हम किस तरह से आए और आप किस तरह से आए। आप कौन तथा आपके अन्दर कौन है, मुझे फिर से अच्छी तरह कहकर समझाइए। आप स्वयं धाम-धनी पधारे हैं। तो फिर हमें ब्रज रास की आड़ क्यूं देते हो। इन्द्रावती से आपने यह भेद क्यों छिपाया है, इसका आप मुझे उत्तर दो। ब्रज रास में कृष्ण नाम के तन तो आपके रूप हैं, साक्षात् सरूप तो आप मेरे पास हो अपनी पहचान कराने के बाद हे प्राणनाथ! आप हमें दर्पण दिखाते हो, अर्थात् आप ब्रज और रास के रूपों का सहारा क्यों लेते हो, जबकि आप साक्षात् प्राणनाथ हो। जिस तरह से हाथ में पहने कंकण (कंकण को शीशे में फिर देखने की जरूरत नहीं होती, अर्थात् आपको साक्षात् देखकर ब्रज और रास के रूप को याद करने की जरूरत नहीं है। अर्थात् श्री कृष्ण और राधा से अब हमारा कोई सम्बन्ध नहीं है। वोह पहले ब्रहमांड के रूप थे जो आपने और श्री स्यामा जी ने धारण किए थे । इस ब्रहमांड में आप श्री प्राणनाथ जाहिर हुए हैं कृष्ण नहीं