ऐ प्रकास जो पिउ का, टाले अंदर का फेर।
याही सब्द के सोर से, उड़ जासी सब अंधेर।।२१।।
नहीं कोई सुख इन समान , अंगना तो कोटि बे...

Question: नहीं कोई सुख इन समान , अंगना तो कोटि बेर कुरबान। यह चरण हम रोज बोलते हैं इसमें ऐसा कौन सा सुख है जो किसी सुख के समान नहीं है बताईए सुन्दरसाथ जी
Answer: श्री राज जी के मुखारबिंद की शोभा को देखने के सुख से बड़ा कोई सुख नहीं है सुन्दरसाथ जी