ऐ प्रकास जो पिउ का, टाले अंदर का फेर।
याही सब्द के सोर से, उड़ जासी सब अंधेर।।२१।।
हो वतनी बांधो कमर तुम बांधो, सुरत पिआसों...

Question: हो वतनी बांधो कमर तुम बांधो, सुरत पिआसों साधो । तीनों कांडों बड़ा सुकदेव,ताकी बानी को कहूं भेव ।। इस चौपाई में तीनों कांडों से क्या अभिप्राय है बताईए सुन्दरसाथ जी
Answer: हे परमधाम के प्यारे सुन्दरसाथ ! तुम कमर बांधकर खड़े हो जाओ और अपनी सुरता (ध्यान) को धनी के चरणों में लगा दो। कर्म, उपासना और ज्ञान तीनों काण्डों में शुकदेवजी का ज्ञान बड़ा है। उनकी वाणी की हकीकत मैं बताती हूं।