आज की चौपाई

ऐ प्रकास जो पिउ का, टाले अंदर का फेर।
याही सब्द के सोर से, उड़ जासी सब अंधेर।।२१।।

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पेहेरयो बागो रे बांधी कमर, अश्व उजले भए...

Shri Nijanand Samparday
Question: पेहेरयो बागो रे बांधी कमर, अश्व उजले भए अस्वार। होसी बड़ा मेला बरस एके, साथ होत सबे तैयार ।। यह प्रसंग कहाँ का है बेवरा करें ?

Answer: यह बात हरिद्वार के प्रसंग की है श्री जी जागृत बुद्धि का निष्कलंक सफेद बागा पहनकर जाति-पाति के भेद को छोड़कर ज्ञान के संशय रहित सफेद तन रूपी घोड़े पर सवार हुए। हरिद्वार में बड़ा मेला होगा जिसमें सब धर्माचार्य श्री जी को बुद्ध निष्कलंक अवतार मान कर उनका जयघोष करेंगे । हरिद्वार के इस मेले की तैयारी सुन्दरसाथ ने एक वर्ष से (मेड़ते से ही) शुरू कर दी है।