ऐ प्रकास जो पिउ का, टाले अंदर का फेर।
याही सब्द के सोर से, उड़ जासी सब अंधेर।।२१।।
श्री किताब सागर मूलमिलावे के लिखे हैं ऐस...

Question: श्री किताब सागर मूलमिलावे के लिखे हैं ऐसा श्री मुखवाणी में वर्णन आता है तो वोह कौन से सागर हैं उनके नाम बताईए सुन्दरसाथ जी
Answer: नूर,नीर, खीर, दघि, घृत, मधु, रस और सर्वरस ये आढ सागर ही मूलमिलावे के लिखे हैं जिनकी श्री राजी महाराज के आठ अंग करके भी कहा है