सुनो रूहें अरस की, जो अपनी बीतक। जो हमसे लटी भई, ऐसी करें ना कोई मुतलक। प्रणाम जी
महावजी भाई की दुकान कहाँ पर थी जहाँ श्री...
Question: महावजी भाई की दुकान कहाँ पर थी जहाँ श्री जी आकर बैठे थे बताईए सुन्दरसाथ जी
Answer: मस्कत बंदरगाह पे सुमुद्र के किनारे पर ही महावजी भाई जी की दुकान थी जहाँ श्री जी आकर बैठ गए थे