आज की चौपाई

सुनो रूहें अरस की, जो अपनी बीतक। जो हमसे लटी भई, ऐसी करें ना कोई मुतलक। प्रणाम जी

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Shri Nijanand Samparday

बांहे ग्रही लई निसरी, में त्रण जुध कीधा फरी फरी । पछे गत मत मारी हरी ' लई वस्त पोताने करी ॥ इस चौपाई में श्री जी ने तीन युद्ध कौन कौन से करे बताईए सुन्दरसाथ जी

by Shri Nijanand Samparday

पहला युद्ध अरब में खेता भाई के काम को जाना और लौटने पर धनी देवचंद्र जी का प्रणाम स्वीकार ना करना दूसरा श्री फूल बाई जी का सुंदर साथ के लिए त्याग करना तीसरा सुंदर साथ को इकट्ठा करके उनकी सेवा करने का उपाय करना और जिसके फलस्वरूप हवसा में जाना पड़ा |

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मूलमिलावे में श्री राजी महाराज का कौन सा चरण कमल उनकी जांघ पर है बताईए सुन्दरसाथ जी?

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मुलमिलावे में श्री राज जी महाराज का दाहिना चरण कमल उनकी बायीं जांघ पर है

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माणिक पहाड़ की चांदनी के मध्य में कितनी भोम का ऊंचा चबूतरा आया है और उस पर क्या शोभा आई है बताईए सुन्दरसाथ जी

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माणिक पहाड़ की चांदनी के मध्य में एक भोम भर का गोल चबूतरा आया है जिस पर टापू मोहोल की शोभा आई है जो बीस भोम की ऊंची गई है

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परमधाम में खज़ाने का ताल कहाँ है बताईए सुन्दरसाथ जी

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पुखराज की तरहटी में

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सिनगार ग्रन्थ के 21 वें प्रकरण की चौपाई क्या कहती है बताईए सुन्दरसाथ जी

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श्री महामति जी कहती हैं कि मैंने एक फूल की कोमलता को रूह के संसार की देह के साथ जोड़कर देखा तो पाया वह हक जात अखण्ड फूल श्री राजी का ही अंग है उसकी तुलना संसार की देह के साथ कैसे की जाए ?

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