*आइयां कांतन वालिया*
सुनो सैयां कहे इंद्रावती, तुम आईयां उमेद कर ।
अब समझो क्यों न पुकारते, क्यों रहियां नींद पकर ।।
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नूर बाग फूलबाग,अन्न बन,दूब दुलिचा,पश्चिम की चौगान,जवेरों की नहरें, बड़ो वन, मधु वन, महावन, वन की नहरें, छोटी रांग बड़ी रांग- दधि सागर
Read Quiz →ब्रज रास देखने के बाद जब उमेंदां पूर्ण नहीं हुई थी तब हम रूहों ने फिर से खेल की मांगनी परमधाम में मूलमिलावे में उठने के बाद की थी तब धनी ने हमको खेल में जाने से तीन बार मना किया पर हम न मानीं
Read Quiz →श्री मेहराज ठाकुर जी ने तीन बार वजारत संभाली पहली तब जब कला जी के पास सब सुन्दरसाथ के लिए भंडारा आयोजित करने के लिए सामान इकट्ठा करते रहे दूसरी बार भाभी के ताने सहने के बाद नौतनपुरी में तीसरी बार सुन्दरसाथ पर कष्ट न आने पाये तब 1720 में
Read Quiz →श्री मद् भागवत स्वपन की बुद्धि का ज्ञान है और दर्शन लीला में नौतनपुरी में जाग्रत बुद्ध श्री देवचन्द्र जी के अन्दर आकर विराजमान हो जाती है जिससे क्षर अक्षर अक्षरातीत तक का सारा ज्ञान स्वतः ही उनको मिल जाता है जो श्री मद् भागवत में तो बिल्कुल भी नहीं है यहीं कारण था कि श्री देवचन्द्र जी दुबारा कभी भागवत सुनने न गए न सुन्दरसाथ से भागवत का आरती पूजन करवाया
Read Quiz →रंगमहल की दक्षिण दिशा में बट पीपल की चौंकी का
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