*आइयां कांतन वालिया*
सुनो सैयां कहे इंद्रावती, तुम आईयां उमेद कर ।
अब समझो क्यों न पुकारते, क्यों रहियां नींद पकर ।।
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जाग्रत बुद्ध सम्वत् 1678 आशों सुदी एकादशी कृष्ण पक्ष में रविवार सुबह 8 बजे नौतनपुरी श्याम जी के मन्दिर में अवतरित हुई
Read Quiz →गुण धनी के याद कर,पकड़ पिया के पाय। सुखें बैठ सुखपाल में,देसी वतन पहुँचाये।। गरीब दास जी श्री जी से पूछते हैं कि हे धाम धनी हमने तो आपके ही चरन पकड़ रखे हैं सदा आपके ही गुण गाते हैं तो आप अभी सुखपाल मंगाओ और हमें धाम वापिस ले चलो तब श्री जी जवाब देते हैं कि सुन्दरसाथ जी धाम में तो भेले पौढ़े भेले जागसी होगा जब तक हरेक रूह जाग्रत नही हो जाएगी तब तक कोई धाम वापिस नहीं जा पायेगा
Read Quiz →वाणी में श्री जी ने फुरमाया है कि बात बड़ी है मेहर की,हक के दिल का प्यार। सो जाने दिल हक का, या मेहेर जाने मेहेर को सुमार।। बात बड़ी है मेहेर की, मेहेर होए न बिना अंकुर | अंकुर सोई हक निसबत, माहें बसत तज्जला नूर || दुःखरूपी इन जिमी में, दुःख ना काहूं देखत। बात बडी़ है मेहेर की,जो दुःख में सुख लेवत।।
Read Quiz →श्री गुम्मट साहिब जी को अकसी बहिश्त कहा है
Read Quiz →यह रसना श्यामा जी की है और रब यानि श्री राजी के इश्क का रस पिलाती है और इसको पीने से अव्वल ब्रह्म सृष्टि को सुख मिलेगा और पीछे समस्त संसार को यह वाणी मुक्ति देगी
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