आज की चौपाई

*आइयां कांतन वालिया*

सुनो सैयां कहे इंद्रावती, तुम आईयां उमेद कर ।
अब समझो क्यों न पुकारते, क्यों रहियां नींद पकर ।।

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Shri Nijanand Samparday

अथ तीन सरूपों की बीतक लिखते श्री बीतक साहिब की शुरुआत में ही यह आता है इसका क्या मतलब है बताईए सुन्दरसाथ जी

by Shri Nijanand Samparday

तीन सरूप बसरी मलकी और हकी ही हैं जिन्हें सत् चिद और आनंद कहा है तीनों को मिला दें तो सचिदानंद पूर्ण सरूप होता है

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Shri Nijanand Samparday

सुन्दरसाथ जी इस चौपाई में किस सुख के बारे में कहा गया है जो रूहों के साथ अक्षर भी पाएगा

by Shri Nijanand Samparday

आठ बहिश्तों के सुखों के बारे में

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