आज की चौपाई

बीड़ी सोभित मुख में, मोरत लाल तंबोल ।
सोभा इन सूरत की, नहीं पटंतर तौल ।।

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Shri Nijanand Samparday

श्री बीतक साहिब में सातवें पोहोर में गोदावरी बाई जी श्री जी संग किस बाई जी के बारें में बात करती है बताईए सुन्दर साथ जी

by Shri Nijanand Samparday

गोदावरी बाई श्री जी साहेब जी से फूल बाई जी के बारे मे बात कर रही है और कह रही है कि राज जी इस दुख के खेल को हमने आपसे मांगा था परन्तु यहाँ इस खेल में आकर तो स्वयं आपको ही दुख उठाना पड़ा अपने सुंदरसाथ की खातिर आपको अपनी धर्म पत्नी फुलबाई तक का त्याग करना पड़ा हे धनी ये माया का खेल बहुत दुख दाई है l

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श्री बीतक साहिब में बनी ईसराइल, हारून फैरुन,मूसा और मूसा की छड़ी के बातूनी मायने क्या हैँ बताईए सुन्दरसाथ जी

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बनी ईसराइल धनी देवचन्द्र जी को कहा है फैरून औरंगजेब और हैरून श्री छत्रसाल जी हैं मूसा श्री प्राणनाथ जी को कहा है और मूसा की छड़ी ये श्री कुलज़म वाणी है

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हम सब श्री बीतक साहिब सुन रहे हैँ सुन रहे हैं न सुन्दरसाथ जी

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श्री जी हवसे से जूनागढ़ फिर जामनगर से अहमदाबाद जेल में जेल से दीपबंदर फिर नबी,पोरबंदर,पाटन,कच्छ होते हुए मंडई फिर मंडई से कपाईये,भोजनगर,नलिये से ठट्ठा नगर फिर ठट्ठे से लाठी बंदर यहाँ से वापिस ठट्ठा फिर से लाठी बंदर यहाँ से मसकत,आवासी बंदर,कोग बंदर होकर वापिस लाठी बंदर से ठट्ठा आए ठट्ठे से फिर नलिये,मंडई बंदरगाह से खुस्की के रास्ते कच्छ के रण से धौराजी,घोघा,सोहाली से सूरत यहाँ से अहमदाबाद,सिद्धपुर...

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किस सुन्दरसाथ ने सबसे पहले धनी को पहचान कर उनकी सेवा की और माया रूप अपनी पत्नी को भी सेवा में आढ़े नहीं आने दिया

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श्री गांगजी भाई ने

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अथ तीन सरूपों की बीतक लिखते श्री बीतक साहिब की शुरुआत में ही यह आता है इसका क्या मतलब है बताईए सुन्दरसाथ जी

by Shri Nijanand Samparday

तीन सरूप बसरी मलकी और हकी ही हैं जिन्हें सत् चिद और आनंद कहा है तीनों को मिला दें तो सचिदानंद पूर्ण सरूप होता है

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