आज की चौपाई

ए जो कहे मैं सरूप, जुगल किसोर अनूप ।
दई साहेदी महंमद रूहअल्ला, किए जाहेर अर्स सरूप ।।

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इस चौपाई में किन चार पदारथ का उल्लेख किया गया है स्पष्ट करें सुन्दरसाथ जी

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चार पदारथ में पहला मनुष्य तन दूसरा भरतखंड तीसरा कलियुग और चौथा उस एक पारब्रह्म की पहचान जो अपनी आत्माओं संग इस माया में पधारे हैं

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इस चौपाई का प्रसंग कहाँ का है परिकरमा कौन सी हैं बताईए सुन्दरसाथ जी

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श्री महामति जी कहते हैं कि सभी सखियां पल भर में ही रंगमोहोल की बाहरी परिकरमा में घूम कर वापिस श्री राज जी के चरणों में आती हैं सब श्री राज जी के प्रेम में इतनी गर्क हैं कि उनकी प्रेम की तरंगों की कोई पारावार नहीं है और यह प्रसंग तीसरी भोम की पड़साल का है

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हमारे हादी श्रीश्यामा जी महारानी धनी श्री देवचन्द्र जी ने सबसे पहले सुन्दरसाथ श्री गांग जी भाई जी की जागनी कौन सा ज्ञान सुना कर की बताईए सुन्दरसाथ जी

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श्री श्यामा महारानी हमारे हादी धनी श्री देवचन्द्र जी ने परा शक्ति के ज्ञान जाग्रत बुद्ध से श्री गांग जी भाई की जागनी करी थी प्रमाण यह है कि जब सुनी पार की बान तब धनी की भई पहचान श्री मद् भागवत अपरा शक्ति का ज्ञान है इससे किसी की जागनी सम्भव नही है ब्रज रास में लीला करने वाला कौन है और जिसके साथ लीला हुई वे कौन हैं और लीला क्यूँ करनी पड़ी इसका पहचान परा शक्ति के ज्ञान जाग्रत बुद्ध में ही है अपरा शक्...

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आत्म का तीर्थ कौन सा है बताईए सुन्दरसाथ जी

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सद्गुरु चरण को क्षेत्र है तीर्थ यमुना सोय परमधाम की श्री जमुना जी ही आत्म का तीर्थ है

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इस चौपाई में कौन किसको और किसके बारे में क्या कह रहा है बताईए सुन्दरसाथजी

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आप धाम धनी व धाम के दूल्हा श्री प्राणनाथ जी महाराजा छत्रसाल जी से कह रहे हैं जाकर के औरंगजेब को जिसके अंदर साकुमार बाई की आतम है उनसे और पीछे जो मोमिन रह गए है उन तक फुरमान पहुँचाओ कि कुरान के अनुसार कयामत जाहिर हो चुकी है अब सोने का वक्त नहीं है अब अपनी आत्मा को जागृत कर धनी का दीदार करो

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