आज की चौपाई

सोई कूकां करे पेहेले की,सो क्यों न समझो बात।
न तो दिन उजाले खरे दो पोहोरे,अब हो जासी रात ।।

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Shri Nijanand Samparday

किस सुन्दरसाथ ने सबसे पहले धनी को पहचान कर उनकी सेवा की और माया रूप अपनी पत्नी को भी सेवा में आढ़े नहीं आने दिया

by Shri Nijanand Samparday

श्री गांगजी भाई ने

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अथ तीन सरूपों की बीतक लिखते श्री बीतक साहिब की शुरुआत में ही यह आता है इसका क्या मतलब है बताईए सुन्दरसाथ जी

by Shri Nijanand Samparday

तीन सरूप बसरी मलकी और हकी ही हैं जिन्हें सत् चिद और आनंद कहा है तीनों को मिला दें तो सचिदानंद पूर्ण सरूप होता है

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सुन्दरसाथ जी इस चौपाई में किस सुख के बारे में कहा गया है जो रूहों के साथ अक्षर भी पाएगा

by Shri Nijanand Samparday

आठ बहिश्तों के सुखों के बारे में

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