*आइयां कांतन वालिया*
सुनो सैयां कहे इंद्रावती, तुम आईयां उमेद कर ।
अब समझो क्यों न पुकारते, क्यों रहियां नींद पकर ।।
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इस खेल का मूल मंत्र पहले दो चरणों में ही निहित है कि श्री राजी महाराज हमें खेल कैसे दिखा रहे हैं हमारी आत्म का दिल पिया का अर्स है और हमारी आत्म के तन हक के हुकम के स्वरूप हैं हमारे पास ऐसा बेसक और अखंड ईलम होने पर भी हक यानि पिया का इस्क हमें क्यूं नही आता
Read Quiz →हमारी हादी सुभान श्री श्यामा महारानी जी पिया जी से बातें कर रही हैं
Read Quiz →201 हांस का और पूर्व में 51 और दक्षिण में 50 हांस की शोभा आई है
Read Quiz →रंगमहल जिसके सामने भोम भर की सीढ़ियाँ उतरी हैं। इस चौक के दायें-बायें, 4-4 मंदिरों के सामने, 4 मंदिर के लंबे व 2 मंदिर के चौड़े दो चबूतरे हैं। जिस पर सिंहासन व कुर्सियों की अपरम्पार शोभा है। इन चबूतरों पर जब श्रीराजश्यामाजी एवं सखियाँ विराजमान होते हैं तो सामने चाँदनी चौक में अनेक प्रकार के सुंदर पशु-पक्षी अपनी मधुर वाणी से बोलकर, गाकर, खेलकर, नाचकर धनी को रिझाते हैं, सखियों को हँसाते हैंइसलिए इन...
Read Quiz →आठ सागर आठ जिमीं का
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