आज की चौपाई

*आइयां कांतन वालिया*

सुनो सैयां कहे इंद्रावती, तुम आईयां उमेद कर ।
अब समझो क्यों न पुकारते, क्यों रहियां नींद पकर ।।

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कह्या अर्स हमारे दिल को, हैं हमहीं हक हुकम। क्यों न आवे इस्क हक का, यों बेसक हैयाती इलम ॥ सि .2/9 इस चौपाई का बेवरा बताईए सुन्दर साथ जी

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इस खेल का मूल मंत्र पहले दो चरणों में ही निहित है कि श्री राजी महाराज हमें खेल कैसे दिखा रहे हैं हमारी आत्म का दिल पिया का अर्स है और हमारी आत्म के तन हक के हुकम के स्वरूप हैं हमारे पास ऐसा बेसक और अखंड ईलम होने पर भी हक यानि पिया का इस्क हमें क्यूं नही आता

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सुनो पिया अब मैं कहूं , तुम पूछी सुध मंडल । ए कहूं मैं क्यों कर , छल बल वल अकल ॥ स -4/9 इस चौपाई में पिया जी से कौन बात कर रहा है बताईए सुन्दर साथ जी

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हमारी हादी सुभान श्री श्यामा महारानी जी पिया जी से बातें कर रही हैं

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रंगमहल कितने हांस का सुशोभित है और रंगमहल के पूर्व और दक्षिण में कितने हांस आए हैं बताईए सुन्दरसाथ जी

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201 हांस का और पूर्व में 51 और दक्षिण में 50 हांस की शोभा आई है

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आगूं अर्श चबूतरे, हम सखियाँ बैठत मिलकर । ऐ सुख हमारे कहाँ गये, खेलत नाचत बंदर ॥परि. 20/15 इस चौपाई में कहाँ का वर्णन हो रहा है बताईए सुन्दरसाथ जी

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रंगमहल जिसके सामने भोम भर की सीढ़ियाँ उतरी हैं। इस चौक के दायें-बायें, 4-4 मंदिरों के सामने, 4 मंदिर के लंबे व 2 मंदिर के चौड़े दो चबूतरे हैं। जिस पर सिंहासन व कुर्सियों की अपरम्पार शोभा है। इन चबूतरों पर जब श्रीराजश्यामाजी एवं सखियाँ विराजमान होते हैं तो सामने चाँदनी चौक में अनेक प्रकार के सुंदर पशु-पक्षी अपनी मधुर वाणी से बोलकर, गाकर, खेलकर, नाचकर धनी को रिझाते हैं, सखियों को हँसाते हैंइसलिए इन...

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दो दरिया बीच एक जिमी, दो जिमी बीच दरिया एक I परिकरमा के इन दो चरणों में परमधाम का कहाँ का वर्णन आता है बताईए सुन्दरसाथ जी

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आठ सागर आठ जिमीं का

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