आज की चौपाई

*आइयां कांतन वालिया*

सुनो सैयां कहे इंद्रावती, तुम आईयां उमेद कर ।
अब समझो क्यों न पुकारते, क्यों रहियां नींद पकर ।।

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Shri Nijanand Samparday

श्री बीतक साहिब में श्री जी साहिब जी ने सबसे पहले कहाँ चार चीज़ों का परहेज बताया था बताईए सुन्दरसाथ जी

by Shri Nijanand Samparday

ठट्ठे नगर में जब चिंतामनि और उसके शिष्यों को तारतम दिया था तब श्री जी ने परहेज बताया था

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अब देखसी सब नजरों, दोऊ झण्डों करी पुकार। बातून झण्डा नूर का, पोहोंच्या बिलंद नूर पार।। मा सा.12/95 इसमें दो झण्डों का क्या भाव है बताईए सुन्दर साथ जी

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अब सारी दुनियां के लोग इस बात को समझेंगे, क्योंकि शरीयत का झण्डा रसूल साहब की कुरान, मारफत का झण्डा श्री कुलजम सरूप साहब की वाणी पुकार कर रही है। यही बातूनी ज्ञान का झण्डा यह वाणी ही है जो अक्षर के पार परमधाम तक पहुंचाती है।

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महंमद नूर है हक का, कुल सैयन महंमद नूर। इन झण्डे कौल महंमद के, आखिर किया चाहिए जहूर ॥ खुदा के नूर से महंमद, हुई दुनियां महमंद के नूर। इन बात में सक जो ल्याइया, सो रह्या दीन से दूर || ऊपर की चौपाई में किसको महमंद कहा है और नीचे की चौपाई में किसको महमंद कहा है और ये दोनों किसकी और कौन सी सूरतें हैं बताईए सुन्दर साथ जी

by Shri Nijanand Samparday

श्री राज जी महाराज की तीन सूरतें हैं जिसे कुरान में अलफ लाम मीम और श्री कुलजम वाणी में बसरी मलकी हकी सूरत कहा है इन तीनों सूरतों को मिलाने पर सत चित् आनद मिल कर एक सच्चिदानंद पारब्रहम सरूप हैं पहली चौपाई में मलकी महमंद श्री श्यामा जी हैं और दूसरी चौपाई में बसरी महमंद अक्षर की आत्म को कहा है

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तुम निरखो सत सरुप, सत स्यामाजी रूप अनूप। साजो री सत सिनगार, विलसो संग सत भरतार।।{कि.76/3} बेवरा करें सुन्दरसाथ जी

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हे रूहो! तुम अपने अखण्ड तनों को देखो। अपनी परआत्म को निरखो। अपनी सुभान श्री श्यामाजी का अनुपम स्वरूप देखो तथा अपने अखण्ड धनी से विलसने के लिए अपने अखण्ड सिनगार को धारण करो (अर्थात् संसार में सच्चे अंग के भाव से चलो)।

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रंगमहल की बाहरी रौंस की पूरी गृद में साथ लगती हुई कौन कौन सी जगह की शोभा आई है बताईए सुन्दरसाथ जी

by Shri Nijanand Samparday

रंगमहल की बाहरी रोंस की पूरी गृद में पूर्व की तरफ चांदनी चौंक के साथ अनार,अमृत और जांबू वन की शोभा आई है दक्षिण में बट पीपल की चौंकी, पश्चिम में फूल बाग उत्तर में लाल चबूतरा खड़ोकली और ताड़वन की शोभा आई है सुन्दरसाथ जी

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