बीड़ी सोभित मुख में, मोरत लाल तंबोल ।
सोभा इन सूरत की, नहीं पटंतर तौल ।।
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जब चोपड़ा की हवेली में श्री छत्रसाल जी ने श्री जी साहेब जी की पघरावनी करके उनकी युगल सरूप की पहचान करके श्री बाईजू राज महारानी जी को साथ बिठा कर आरती करने लगे तो श्री जी इमाम मेहेंदी श्री प्राणनाथजी ने छत्रसाल से पूछा कि हमारे लिए तुम क्या नजराने (भेंट) लाए हो महाराजा छत्रसालजी ने कहा कि बुन्देलखण्ड की पांच हजार कोस की बस्ती अर्थात् यह मेरा पांच तत्व का शरीर, गुण, अंग इन्द्रियों सहित आपकी सेवा में...
Read Quiz →सबसे पहले 500 मन्दिर की चौड़ी पुखराजी रौंस जिसके दायें बायें दो भोम के ऊँचे बड़ो वन के वृक्ष आए हैं, फिर 250 मन्दिर की चौड़ी वन रौंस आई है जिसपर हरी गिलम बिछी है और इसके आगे कमर भर ऊँची 250 मन्दिर की चौड़ी पाल आती है जिस पर बड़े वन की वृक्षों की 5 हारें पाँच भोम की शोभा झूलो के संग ले रही हैं फिर पाल से कमर भर नीचे उतर कर जल रौंस 250 मन्दिर की चौड़ी पार करके पाट घाट पहुँच जायेंगे
Read Quiz →रूहें खेल देखने के वास्ते संसार में आई हैं और श्री प्राणनाथजी और श्यामाजी खेल दिखाने के वास्ते आए हैं तीनों हादी अक्षर , श्री स्यामा जी , और श्री प्राणनाथ जी (बसरी, मलकी और हकी) रूहों को खेल दिखाकर ब्रह्मसृष्टि और ईश्वरीसृष्टि को लेकर अपने घर वापस जाएंगे।
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