आज की चौपाई

ऐ प्रकास जो पिउ का, टाले अंदर का फेर।
याही सब्द के सोर से, उड़ जासी सब अंधेर।।२१।।

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Shri Nijanand Samparday

प्याले-निसबत-मोमिनों-हुकमें-ए इस्क -महामत-हक-भर-सागर-फूल-ल्यो-कहे ए -भर-पिओ । कृपया इस चौपाई को सही से बताईए सुन्दरसाथ जी

by Shri Nijanand Samparday

महामत कहे ए मोमिनों,ए निसबत इस्क सागर। ल्यो प्याले हक हुकमें, पिओ फूल भर भर ।।

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मैं अंग इमाम को,मोमिन मेरे अंग। बीच आए तिन वास्ते,करूं सब एक संग ॥ सनंध की इस चौपाई में कौन किसका अंग है बताईए सुन्दरसाथ जी

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यहाँ श्री महामति जी के हृदय में विराजमान श्यामा जी की आत्मा कहती है कि मैं परब्रह्म अक्षरातीत की अंग रूपा हूं तथा सभी ब्रह्ममुनि मेरे ही अंग हैं। सभी माया का खेल देखने इस संसार में आए हैं। अब मैं तारतम ज्ञान के प्रकाश में सबको परब्रह्म की पहचान कराकर एकत्रित करूंगी।

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नूर बाग की चांदनी पर क्या शोभा आई है बताईए सुन्दरसाथ जी

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फूल बाग की

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किस आत्म ने श्री जी के रहते दो बार तन धारण करके उनके चरणों में तन छोड़ा बताईए सुन्दरसाथ जी

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अमलावती की आत्म ने पहले फूल बाई के तन में फिर तेज कुंवरी के तन में

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तब श्री जी साहिब जी ने कह्या, जो कोई लूला पांगला साथ । इन्द्रावती न छोड़े तिनको, पहुंचावे पकड़ हाथ ॥ यह बात श्री जी ने श्री बीतक साहिब में कहाँ पर कही थी बताईए सुन्दरसाथ जी

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सूरत में

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