बीड़ी सोभित मुख में, मोरत लाल तंबोल ।
सोभा इन सूरत की, नहीं पटंतर तौल ।।
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हमारे इन गुण अंग इन्द्रियों को मारकर हमें कौन जिन्दा करेगा? इनको उलटे रास्ते से निकालकर धनी के सम्मुख कौन करेगा? इस दुःख के संसार में धनी के बिना सच्चे सुख कौन देगा ?
Read Quiz →धंन बाई श्री गांग जी भाई जी की आत्म है जब श्री देवचन्द्र जी के अन्दर बैठे धाम धनी की पेहेचान कर उनको अपने घर ले जाकर सेवा करने लगे तो उनपर माया की लहर का विकट प्रवाह आया था जो सहन नहीं किया जाने वाला था (भानवाई का त्याग) जो उन्होंने किया, फिर भी धनी ने हाथ पकड़कर माया से बचा लिया।
Read Quiz →राजाराम भाई मेड़ते से छत्रसालजी को लिख रहे हैं कि हमारी सेवा का भार जब आपने ले ही लिया है, तो यदि कहो तो हम भी वहां आ जाएं। श्री महामतिजी कहते हैं कि बड़ी हैरानी की बात है। मोमिनो ! देखो, समय कितना कठिन हो गया।
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