आज की चौपाई

बीड़ी सोभित मुख में, मोरत लाल तंबोल ।
सोभा इन सूरत की, नहीं पटंतर तौल ।।

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Shri Nijanand Samparday

श्री निजानंद सम्प्रदाय का संसद भवन किसको कहा है और वोह कहाँ पर है बताईए सुन्दरसाथ जी

by Shri Nijanand Samparday

श्री बंगला साहिब जी जो श्री पदमावती पुरी धाम पन्ना में है

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एक सात जने ईमानसों, मुए मुसलमान । आए पोहोंच्या सोई बखत, जो कह्या था नुकसान ।। म.सा. की इस चौ. में हुए किस्से को बतायें सुन्दरसाथ जी

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कुरान में रसूल साहब ने कहा था, मुसलमानो ! तुम्हारे नुकसान का वक्त आएगा। तुम्हारा ईमान गिर जाएगा। उनके बाद एक बार लोग मदीने में नमाज पढ़ रहे थे, तो खुदा ने मोहरों की बरसात की। केवल सात मुसलमानों को छोड़कर बाकी सब मोहरें उठाने भाग गये। जब मोहरें उठाने लगे, तो वह कोयला हो गए। दोनों तरफ से नुकसान हुआ।

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पिया किए अति प्रसन, तीन बेर दिए दरसन । तारतम बात वतन की कही, आप धाम धनी सब सुध दई ।। श्री देवचन्द्र जी ने कैसे पिया को प्रसन्न किया जो तीन बार उनको दर्शन हुए बताईए सुन्दरसाथ जी

by Shri Nijanand Samparday

श्री देवचन्द्र जी ने अपने प्रीतम को सेवा से प्रसन्न किया। हमेशा उनको अपने तन मन में बसा कर रखा तब प्रीतम ने तीन बार दर्शन दिये (एक बार बारात के पीछे जाते हुए सिपाही के भेष में, दूसरी बार चितवन में अखण्ड ब्रज का ध्यान धरते समय तथा तीसरी बार श्यामजी के मन्दिर में)। तीसरी बार तारतम वाणी से घर की सब बातें बताईं और धाम धनी ने इश्क रब्द की सब सुध दी।

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सत चिद आनंद से क्या तात्पर्य है बताईए सुन्दरसाथ जी

by Shri Nijanand Samparday

जो सत्य ( अखंड) है ,चेतन ( निरंतर लीला करने वाला ) और आनंद देने की क्रिया करता है। सत्य +चित्त +आनंद =सच्चिदानंद अर्थात पूर्ण ब्रह्म परमात्मा श्री राज जी महाराज ही हैं । इस जागनी लीला में कुरान में भी खुदा की तीन सूरत का ब्यान किया है जिसे बसरी अर्थात सत , मलकी अर्थात आनंद ,हकी अर्थात चिदघन कहा है

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मुहम्मद आए ईसा मिने, तब अहमद हुआ स्याम । अहमद मिल्या मेंहदी मिने, ऐ तीनों मिल भये इमाम ।। इस चौपाई का बेवरा करें सुन्दरसाथ जी

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ईसा रूहअल्ला (श्यामा जी के पहले तन श्री देवचन्द्र जी) में जब मुहम्मद सल्लल्लाहो अलैहि वसल्लम (अक्षर की आत्मा) का प्रवेश हुआ तो उस स्वरूप को अहमद कहलाने की शोभा मिली। जब यह स्वरूप श्यामा जी के दूसरे तन (श्री मिहिरराज जी) में मेंहदी (महामति) में मिला तो इन तीनों स्वरूपों को ईमाम अर्थात् (प्राणनाथ) कहा गया। पांचों शक्तियों के श्री इन्द्रावती जी के धाम-हृदय में विराजमान होने पर उन्हें महामति की शोभा म...

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